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रुड़की वेनम सेंटर खुलासा, वन विभाग को थी अवैध जहर के कारोबार की जानकारी

Fnd, देहरादून: हरिद्वार जिले के रुड़की में अवैध रूप से संचालित हो रहे वेनम सेंटर को लेकर वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. प्रकरण को लेकर शासन ने अब 24 घंटे में वन मुख्यालय से रिपोर्ट भी मांगी है. हैरत की बात यह है कि रुड़की में अवैध वेनम सेंटर को लेकर वन मुख्यालय से लेकर राजाजी टाइगर रिजर्व और हरिद्वार DFO कार्यालय तक के लिए चिट्ठियां लिखी जा रही थी, फिर भी किसी अधिकारी ने इस बंद कराने की जहमत नहीं उठाई. दिल्ली से आई पीपुल्स फॉर एनिमल की टीम सूचना पर रुड़की में चल रहे अवैध वेनम सेंटर का भंडाफोड़ हुआ.

वहीं रुड़की में अवैध वेनम सेंटर का खुलासा होने के बाद अब जिम्मेदारी तय करने की कोशिश हो रही है. मजे की बात यह है कि इस दौरान भी कभी गेंद वाइल्डलाइफ से जुड़े अधिकारियों की तरफ फेंकी जा रही है तो कभी टेरिटोरियल रेंज देखने वाले अफसरों को जिम्मेदार माना जा रहा है. हालांकि इस मामले में गलती किसकी है इसके लिए प्रमुख सचिव वन ने कड़ा रूप अपना लिया है और चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन आरके सुधांशु को 24 घंटे के भीतर इस मामले में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.

दरअसल, यह मामला जहरीले सांपों का जहर निकालकर उसे जीवन रक्षक दवाओं के रूप में इस्तेमाल करने से जुड़ा है. इसके लिए एक वेनम सेंटर को चलाने की अनुमति 2022 में चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन कार्यालय ने नितिन कुमार नाम के शख्स को दी थी. इस केंद्र में जहरीले सांपों को नियमानुसार रखकर उनका जहर इकट्ठा किया जाना था. खास बात यह है कि यह अनुमति एक साल के लिए थी, लेकिन दिसंबर 2023 में अनुमति खत्म होने के बाद भी इसका संचालन अब तक चलता रहा.

अवैध जहर का कारोबार: मामले का खुलासा तब हुआ जब पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था ने इस केंद्र पर छापामार और यहां से 86 कोबरा और रसल वाइपर जैसे शेड्यूल वन यानी संरक्षित वन्यजीव के रूप में चिन्हित सांपों को बरामद किया.

हैरानी की बात यह है कि दिल्ली से पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था ने तो यहां अवैध जहर के कारोबार का पता लगा लिया लेकिन वन विभाग इसको लेकर आंखें मूंदे रहा. लेकिन बात इतनी सी नहीं हैं, क्योंकि हकीकत में वन विभाग को यह पहले से ही पता था कि रुड़की में जहरीले सांपों को लेकर एक अवैध केंद्र संचालित हो रहा है.

यह बात इसलिए कहीं जा सकती है, क्योंकि दिसंबर 2023 में इस केंद्र की वैधता खत्म होने की जानकारी चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन कार्यालय को थी. इसके बावजूद भी इस केंद्र को बंद नहीं करवाया गया.

राजाजी प्रशासन को दी थी सेंटर में नियमों को फॉलो कराने की जिम्मेदारी: मामले में इससे भी बड़ी हैरत की बात यह है कि वेनम सेंटर के निरीक्षण और नियमों को फॉलो करवाने की जिम्मेदारी राजाजी प्रशासन को गई थी, लेकिन महीनों तक अवैध रूप से चल रहे सेंटर को लेकर राजाजी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. ऐसा नहीं है कि अवैध रूप से सेंटर के चलने की जानकारी राजाजी प्रशासन को न हो.

दरअसल, जनवरी 2025 में ही इस केंद्र में राजाजी के वार्डन ने निरीक्षण किया था और अपनी रिपोर्ट निदेशक को दी थी, जिसके आधार पर चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन को भी इसके बारे में बता दिया गया था. राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक कोको रोसे कहते हैं कि वेनम सेंटर के लाइसेंस को रिन्यू करने के बिना इसके संचालन की जानकारी पत्र के माध्यम से उच्चस्थ अफसरों को दे दी गई थी, जिसपर DFO हरिद्वार का अभिमत लिए जाने के लिए पत्राचार हुआ था.

अभी इस सेंटर को सीज कर दिया गया है और 86 जहरीले सांपों को जंगल में छोड़ने के लिए अनुमति ली गई है, जिन्हें जल्द नियमों के अनुसार रिलीज कर दिया जाएगा.

-रंजन कुमार मिश्रा, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, उत्तराखंड वन विभाग-

केंद्र संचालक पर इन धाराओं में मामला हुआ दर्ज: इस मामले में सेंटर के संचालक नितिन कुमार की तलाश की जा रही है, जिसके लिए वन विभाग ने दो टीम में गठित कर दी है. माना जा रहा है कि नितिन कुमार उत्तर प्रदेश में कहीं हो सकता है. उधर वन विभाग में वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट के सेक्शन 9, 12, 40, 49B, 50 और 51 के तहत नितिन कुमार पर मामला दर्ज कर लिया है.

डीएफओ स्वप्निल का बयान:

मौके से न तो सांपों का जहर मिला है और न ही रिकॉर्ड मेंटेन करने वाले कोई दस्तावेज मिले हैं. कोर्ट से सांपों को रिलीज करने की अनुमति मिल गई है और उच्च अधिकारियों की अनुमति के बाद जल्द इन्हें छोड़ दिया जाएगा. हालांकि वेनम सेंटर के संचालक ने लाइसेंस रिन्यू करने का आवेदन लाइसेंस एक्सपायर होने के करीब 8 महीने बाद किया था, देरी से आवेदन करने के पीछे उसने केंद्र में मरम्मत होने को वजह बताया था.

-स्वप्निल, डीएफओ, हरिद्वार डिवीजन

चौंकाने वाली बात यह है कि यह विष सेंटर रुड़की यानी हरिद्वार वन प्रभाग के अंतर्गत आता है, लेकिन सेंटर का लाइसेंस देते वक्त हरिद्वार डीएफओ कार्यालय को इसकी जानकारी ही नहीं दी गई. इसी साल करीब 3 महीने पहले अभिमत जानने को लेकर डीएफओ को पत्र भेजा गया था.

राजाजी के वाइल्डलाइफ वार्डन की गवाही देती चिट्ठी: वाइल्डलाइफ वार्डन राजाजी अजय लिंगवाल ने 14 जनवरी 2025 को राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने यह साफ किया था कि निरीक्षण के दौरान उन्होंने इस केंद्र पर 71 कोबरा और 18 रसल वाइपर यानी कुल 89 सांपों को पाया. जिसमें कोबरा के जहर की मात्रा 184.9 ग्राम और रसल वाइपर के जहर की मात्रा 38.42 ग्राम केंद्र में उपलब्ध थी. इस तरह यह स्पष्ट था कि राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक को लाइसेंस एक्सपायर होने के बाद भी इस केंद्र में सांप होने की जानकारी दी गई थी.

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