Fnd, नेशनल डेस्क: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान को अपनी शाही विरासत पर कानूनी संकट का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें सैफ अली खान और उनके परिवार को भोपाल और आसपास की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों का एकमात्र मालिक माना गया था। कोर्ट ने इस मामले की नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं और निचली अदालत को एक साल के भीतर पुनर्निर्णय देने को कहा है।
क्या है मामला?
भोपाल की ये संपत्तियाँ, जिनमें नूर-उस-सबा पैलेस (अब एक लग्जरी होटल), फ्लैगस्टाफ हाउस, शाही बंगले और अन्य महल शामिल हैं, सैफ अली खान को उनके परदादा नवाब हमीदुल्लाह खान और दादी साजिदा सुल्तान के माध्यम से विरासत में मिली थीं।
साजिदा सुल्तान, नवाब हमीदुल्लाह खान की छोटी बेटी थीं, जिन्होंने भारत में रहना स्वीकार किया था और उन्हें आधिकारिक रूप से नवाब की संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। भारत सरकार ने भी 1962 में उन्हें उत्तराधिकार प्रदान करने में आपत्ति नहीं जताई थी।
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
मामले में नया मोड़ तब आया जब हमीदुल्लाह खान के अन्य वंशजों ने सैफ के स्वामित्व पर आपत्ति जताते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार संपत्ति के विभाजन की मांग की। हाई कोर्ट ने उनकी दलील को मानते हुए निचली अदालत के 2000 के आदेश को रद्द कर दिया और संपत्ति के उत्तराधिकार पर दोबारा विचार करने के निर्देश दिए। अगर निचली अदालत अब पहले का फैसला पलट देती है, तो सैफ अली खान को विरासत में मिली शाही संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा खोना पड़ सकता है।
एक और संकट: ‘शत्रु संपत्ति’ कानून
इस कानूनी संकट के बीच एक और बड़ी चुनौती सामने खड़ी है ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम’। भारत सरकार ने 2014 में सैफ अली खान को नोटिस भेजा था जिसमें कहा गया कि ये संपत्तियाँ ‘शत्रु संपत्ति’ की श्रेणी में आती हैं क्योंकि हमीदुल्लाह खान की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान, जो उनकी स्वाभाविक उत्तराधिकारी थीं, विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गई थीं और उन्होंने भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी। सरकार का दावा है कि इस आधार पर साजिदा सुल्तान को संपत्ति का उत्तराधिकारी मानना गलत था और संपत्ति अब सरकार के अधीन जानी चाहिए।
अदालत में सैफ का विरोध
सैफ अली खान ने इस दावे के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी और अस्थायी राहत भी प्राप्त की थी। लेकिन दिसंबर 2024 में हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और उन्हें अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया। यह याचिका मुंबई स्थित ‘शत्रु संपत्ति संरक्षक’ कार्यालय के उस निर्णय के विरुद्ध थी, जिसमें 1962 की उत्तराधिकार मान्यता को रद्द कर दिया गया था।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि अभिनेता ने समय पर अपील दायर की या नहीं, क्योंकि इसी दौरान जनवरी 2025 में एक हमले में उन्हें चाकू मारा गया था और वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें सर्जरी के बाद अस्पताल में कई हफ्ते बिताने पड़े थे।
क्या सैफ अली खान खो देंगे अपनी विरासत?
अब सभी निगाहें निचली अदालत के फैसले और शत्रु संपत्ति अपीलीय प्राधिकरण के निर्णय पर टिकी हैं। अगर फैसले सैफ अली खान के विरुद्ध जाते हैं, तो वे ना केवल l विरासत का बड़ा हिस्सा खो सकते हैं, बल्कि शाही संपत्तियों पर अपना स्वामित्व भी पूरी तरह से गंवा सकते हैं।