Fnd,दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गुरुवार को यहां एक विशेष वृक्षारोपण अभियान के तहत बरगद का पौधा लगायेंगे। प्रधानमंत्री यहां भगवान महावीर वनस्थली पार्क में एक विशेष वृक्षारोपण पहल के तहत वृक्षारोपण करेंगे। मोदी ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के अंतर्गत बरगद का पौधा लगायेंगे। यह ‘अरावली ग्रीन वॉल परियोजना’ का हिस्सा होगा, जिसका उद्देश्य 700 किलोमीटर लंबी अरावली श्रृंखला को फिर से वनों से परिपूर्ण करना है।
यह परियोजना दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात सहित चार राज्यों के 29 जिलों में अरावली पर्वत श्रृंखला के आसपास पांच किलोमीटर के बफर क्षेत्र में हरियाली का विस्तार करने की एक प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य वनीकरण, पुनर्वनीकरण और जल निकायों के जीर्णोद्धार के माध्यम से अरावली की जैव विविधता को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य क्षेत्र की मिट्टी की उर्वरता, जल उपलब्धता और जलवायु अनुकूलता में सुधार करना भी है।
यह परियोजना स्थानीय समुदायों को रोजगार और आय सृजन के अवसर प्रदान करते हुये लाभान्वित भी करेगी। इसके अलावा मोदी दिल्ली सरकार की सतत परिवहन पहल के तहत 200 इलेक्ट्रिक बसों को भी हरी झंडी दिखायेंगे। यह न केवल स्वच्छ शहरी गतिशीलता को बढ़ावा देगा, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन के प्रति राष्ट्र के सामूहिक दायित्व का भी प्रतीक होगा।
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि परियोजना की शुरुआत के अवसर पर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के मुख्यमंत्री उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि परियोजना के तहत अरावली पर्वत शृंखला में आने वाले 29 जिलों में लगभग 1,000 नर्सरियां विकसित की जाएंगी। सरकार के अनुसार, यह पहल क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने में महत्वपूर्ण होगी और इससे 2030 तक 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सोखने की क्षमता विकसित करने तथा 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को पुनः उपजाऊ बनाने जैसे जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
सरकार ने मार्च 2023 में ‘अरावली ग्रीन वॉल’ पहल पेश की थी। इस परियोजना का लक्ष्य गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में लगभग 64.5 लाख हेक्टेयर भूमि को शामिल करते हुए पांच किलोमीटर चौड़ा ‘हरित पट्टी बफर जोन’ स्थापित करना है, जिसके भीतर की लगभग 42 फीसदी (27 लाख हेक्टेयर) भूमि बंजर है।
अरावली पर्वतमाला मरुस्थलीकरण के खिलाफ एक प्राकृतिक अवरोध के रूप में काम करती है, थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती और दिल्ली, जयपुर तथा गुरुग्राम जैसे शहरों की रक्षा करती है। अरावली की पहाड़ियां चंबल, साबरमती और लूनी जैसी महत्वपूर्ण नदियों का स्रोत भी हैं।
इसके जंगलों, घास के मैदानों और आर्द्रभूमि में लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। हालांकि, वनों की कटाई, खनन, पशुचारण और मानव अतिक्रमण के कारण मरुस्थलीकरण की स्थिति और खराब हो रही है, जलभृतों को नुकसान पहुंच रहा है, झीलें सूख रही हैं तथा वन्यजीवों को पोषित करने की क्षेत्र की क्षमता प्रभावित हो रही है। कुल अवक्रमित क्षेत्र का 81 प्रतिशत राजस्थान में, 15.8 प्रतिशत गुजरात में, 1.7 प्रतिशत हरियाणा में और 1.6 प्रतिशत दिल्ली में है।