Fnd, देहरादून: साल 2027 तक विकसित भारत बनाने के विजन को पूरा करने के लिए उत्तराखंड नए सिरे से काम कर रहा है. जिसके तहत नीति आयोग की तरह ही उत्तराखंड में सेतु आयोग यानी ‘राज्य सशक्तिकरण एवं परिवर्तन संस्थान उत्तराखंड’ का गठन किया गया है. सेतु आयोग का गठन पहले से ही चल रही राज्य योजना आयोग की जगह किया गया है. ताकि, विभागों से तालमेल बनाते हुए योजनाओं को बेहतर ढंग से धरातल पर उतराने के साथ ही बेहतर नीतियों को बनाया जा सके. आखिर किस तरह से सेतु आयोग कर रहा है काम, किन-किन बिंदुओं पर सेतु आयोग का है फोकस? ईटीवी भारत पर जानिए.
उत्तराखंड सरकार वर्तमान समय में कृषि और इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ ही एआई एवं साइबर सिक्योरिटी पर विशेष जोर दे रही है. जिसे राज्य सशक्तिकरण एवं परिवर्तन संस्थान उत्तराखंड (सेतु आयोग) आगे बढ़ा रहा है. जिसके तहत सेतु आयोग जल्द ही किसानों की आय को दोगुनी करने के साथ ही उत्पादन को बढ़ाए जाने को लेकर टाटा ग्रुप के साथ एमओयू (MoU) करने जा रहा है. इस एमओयू के तहत टाटा ग्रुप किसानों से सीधे कृषि उत्पादन को खरीदेगी.
इसके अलावा सेतु आयोग ने उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिए जाने को लेकर एक समग्र पॉलिसी भी तैयार की है. इस पॉलिसी के लागू होने के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया है. साथ ही सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने जैसे भी प्रावधान है. सेतु आयोग वर्तमान समय में किन-किन बिंदुओं पर काम कर रहा है, इसको लेकर ईटीवी भारत ने सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राजशेखर जोशी से खास बातचीत की.
टाटा ग्रुप प्रदेश के किसानों से सीधे खरीदेगा उत्पाद: सेतु आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड में कृषि के सीमित संसाधन हैं, ऐसे में उत्पादन बढ़ाए जाने को लेकर विशेष जोर दिया जा रहा है. जिसके तहत टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट के साथ एमओयू करने जा रहे हैं. जिसके तहत टाटा ग्रुप उत्तराखंड में पैदा होने वाले अनाजों, लाल चावल, राजमा, शहद, मिलेट्स को सीधे किसानों से खरीदेगा.
इससे न सिर्फ किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा. बल्कि, उत्पादन बढ़ाने के साथ ही तमाम प्रक्रियाओं से संबंधित किसानों को जानकारी भी दी जाएगी. जिससे टाटा ग्रुप के अनुभव, उनके संसाधनों और अनाजों की खरीद से किसानों को बड़े स्तर पर लाभ मिलेगा. इसके साथ ही एफबीओ (Food Business Operator) और कॉपरेटिव को भी मजबूत करने में सहायता मिलेगी.
पर्वतीय क्षेत्रों में खेती के लिए टेक्नोलॉजी बढ़ाने पर जोर: प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी मैन्युअली तरीके से खेती की जाती है, लेकिन पहाड़ों में खेती के लिए नए टूल्स विकसित किए गए हैं. विवेकानंद पर्वतीय शोध संस्थान ने कुछ टूल्स विकसित किए हैं. ऐसे में महिंद्रा ग्रुप और पर्वतीय शोध संस्थान के साथ बातचीत शुरू हुई है. ताकि, पहाड़ में खेती के लिए बेहतर टूल्स विकसित किया जाए. साथ ही खेती के लिए कम से कम मैन्युअल काम करना पड़े और उत्पादन बढ़े.
उच्च शिक्षा में माइनर कोर्स के रूप में जोड़ा गया एआई और साइबर सिक्योरिटी: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सिक्योरिटी न सिर्फ एक बड़ी चुनौती है, बल्कि एक अवसर भी है. वर्तमान समय में पूरी अर्थव्यवस्था पर एआई का प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में सेतु आयोग एआई के क्षेत्र में पहल कर रहा है, जिसके तहत नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनी के साथ मिलकर उच्च शिक्षा के इसी सत्र से एआई और साइबर सिक्योरिटी का कोर्स शुरू करने जा रहे हैं.
ताकि, छात्र- छात्राओं को एआई और साइबर सिक्योरिटी की जानकारी मिल सके. इससे न सिर्फ बच्चों का स्किल डेवलप होगा. बल्कि, उनको सर्टिफिकेट में क्रेडिट भी मिलेगा. इसकी पढ़ाई के लिए हर कॉलेज में नोडल टीचर और गाइडेंस के लिए के नैसकॉम (National Association of Software and Service Companies) के एक्सपोर्ट्स उपलब्ध होंगे. बच्चों का स्किल डेवलप होने के बाद उनको नैसकॉम में रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.
सरकारी कामकाज और जनता को मिलने वाली सुविधाओं में एआई को बढ़ावा देने की है जरूरत: राजशेखर जोशी ने कहा कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव प्रदेश के हर क्षेत्र में पढ़ने वाला है. जिसे चलते राज्य सरकार भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ध्यान दे रही है. जिसके क्रम में राज्य सरकार ने पिछले साल यूकॉस्ट (Uttarakhand State Council for Science And Technology) को एआई की स्ट्रेटजी बनाने की जिम्मेदारी दी थी. ऐसे में यूकॉस्ट इस पर काम कर रहा है.
इसके अलावा सेतु आयोग ने आईटी डिपार्टमेंट से इस बात को कहा है कि वर्तमान समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ऊपर काम करना बेहद जरूरी है. क्योंकि, अब वो समय आ गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को न सिर्फ सरकार के कामकाज में इस्तेमाल करें. बल्कि, जनता को दी जा रही सुविधाओं में भी इस्तेमाल किया जाए. वर्तमान समय में सरकार के कामकाज में एआई का इस्तेमाल, जनता को दी जाने वाली सर्विस में एआई का इस्तेमाल, एआई इंडस्ट्री को बढ़ावा देना और नागरिकों में एआई की जागरूकता व प्रशिक्षण करना महत्वपूर्ण है.
सेतु आयोग तैयार कर रहा है ईवी पॉलिसी: सेतु आयोग के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी एक महत्वपूर्ण विषय है. क्योंकि, प्रदेश में इलेक्ट्रिक व्हीकल से संबंधित कोई समग्र पॉलिसी नहीं है. ऐसे में सेतु आयोग ने इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के साथ मिलकर एक पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार किया है. वर्तमान समय में जिस तरह से पॉल्यूशन बढ़ रहा है, उसको देखते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है.
उत्तराखंड की सबसे बड़ी इंडस्ट्री ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री है. ऐसे में सेतु आयोग की ओर से तैयार की गई ईवी पॉलिसी में तमाम बिंदुओं को समाहित किया गया है. जिसके तहत प्रदेश में ईवी के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना देना, सरकार की ओर से ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करना, इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर जनता को सब्सिडी का लाभ, प्रदेश भर में ईवी चार्जिंग स्टेशन को बढ़ावा देना शामिल है. ऐसे में जल्द ही कैबिनेट बैठक में ईवी पॉलिसी को मंजूरी दी जाएगी.
युवाओं के स्किल डेवलपमेंट के लिए संगम प्रोजेक्ट पर जोर: प्रदेश के युवाओं के स्किल डेवलपमेंट को लेकर कौशल विकास विभाग पहले से ही काम कर रहा है. ऐसे में सेतु आयोग ने युवाओं की स्किल को बढ़ाने के लिए एक संगम प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है. जिसके तहत आईटीआई करने वाले बच्चों के लिए ये निर्णय लिया गया है कि इस 2 साल के कोर्स में 1 साल छात्र कॉलेज में पढ़ाई करेगा और दूसरा साल छात्र इंडस्ट्री में काम करेंगे.
इससे न सिर्फ बच्चों को किताबी ज्ञान मिलेगा. बल्कि उद्योग में काम करने से एक्सपीरियंस भी मिलेगा. इसके लिए सेतु आयोग ने महिंद्रा ग्रुप और टाटा मोटर्स को संगम प्रोजेक्ट के साथ जोड़ा है. जिनके साथ एमओयू यानी समझौता ज्ञापन भी साइन किया जा चुका है. ऐसे में इसी साल पहला बैच शुरू होने जा रहा है.