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मवाना का सचिन भी बना कलियुग का श्रवण कुमार

Fnd, हरिद्वार: आज सावन मास शुरू हो गया है. सावन के शुरू होते ही आज से कांवड़ मेले की शुरुआत हो रही है. मेले की शुरुआत से पहले ही कांवड़ यात्रा में रंग जमने लगा है. कांवड़ियों की अलग अलग मनोकामनाएं हैं. कोई माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर गंगाजल लेने आया है, तो कोई अपने मनपसंद लीडर के लिए कांवड़ यात्रा पर आया है.

चौधरी देवीलाल के नाम की कांवड़: हरियाणा के सतवीर सिंह की पोशाक और कांवड़ का रंग चर्चा का विषय बने हैं. सतवीर हरियाणा के दो बार सीएम और भारत के उप प्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल के नाम की कांवड़ लेकर हरिद्वार आए हैं. वो पिछले 20 साल से हरियाणा में ताऊ के नाम से प्रसिद्ध चौधरी देवीलाल के लिए कांवड़ ला रहे हैं.

सतवीर हैं ताऊ देवीलाल के भक्त: शिवभक्ति में सराबोर शिवभक्त भगवा रंग के साथ पहुंच रहे हैं तो कांवड़ियों के बीच इस बार देश की हरियाली और किसानों को समर्पित सतवीर की हरे रंग की कांवड़ सभी के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. सतवीर सिंह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और किसानों के मसीहा के रूप में माने जाने वाले ताऊ देवीलाल के लिए जल लेने हरिद्वार पहुंचे हैं. वो पिछले 20 साल से ताऊ देवीलाल के लिए वे कांवड़ ला रहे हैं.

सतवीर का कहना है कि-

कांवड़िया भगवान भोले को अपना आराध्य मान कांवड़ ला रहे हैं. मैं चौधरी देवीलाल को अपना भगवान मान कर जल लेने आता हूं. शिवरात्रि पर देवीलाल की जन्मस्थली पर जाकर उनकी समाधि पर जल चढ़ाता हूं. मैं किसानों के मसीहा को भारत रत्न दिए जाने की मांग भी कर रहा हूं. भगवा की जगह हरे रंग की कांवड़ इसलिए लाता हूं क्योंकि ताऊ देवीलाल की पगड़ी का रंग हरा था, इसलिए मैंने हरा रंग चुना.
-सतवीर सिंह, कांवड़िया-

कांवड़ मेले में कलियुग का श्रवण कुमार: कांवड़ मेले में कलियुग के श्रवण कुमार भी नजर आ रहे हैं. यूपी के हापुड़ की एक महिला अपनी सास को लेकर कांवड़ मेले में आई थी तो अब मेरठ के मवाना निवासी सचिन अपने माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर गंजाजल लेने हरिद्वार पहुंचे हैं. इससे पहले सचिन दो साल अपने दादा और दादी को कांवड़ में बिठाकर गंगाजल लेने कांवड़ मेले में आए थे. सचिन ने बताया कि-

मैं तीसरी बार कांवड़ यात्रा में पुण्य कमा रहा हूं. पिछले दो साल अपने दादा-दादी को कांवड़ में बिठाकर हरिद्वार लाया था. इस बार माता-पिता को लाया हूं. माता-पिता और दादा-दादी को कांवड़ यात्रा कराकर सुख का जो अनुभव है वो मैं बता नहीं सकता हूं.
-सचिन, कांवड़िया-

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